
Table of contents (MANISHA)
Sl.No. | Authors | Title | Page No. | Read |
---|---|---|---|---|
1 td > | ड. गगनचन्द्रदे | अभिनवमङ्गलदशकम् | १ - २ | Read |
2 td > | ड. बिष्णुपदमहापात्रः | न्यायवैशेषिकतन्त्रे मनस्तत्त्वम् | ३ - ८ | Read |
3 td > | ड. बुद्धेश्वरषडङ्गी | काव्यमार्गे शब्दवृत्तयः | ९ - १२ | Read |
4 td > | डा. चन्द्रकला आर्. कोण्डी | पण्डितराजजगन्नाथकृतकाव्यविभागस्यौचित्यम् | १३ - १८ | Read |
5 td > | शिवप्रसादपोख्रेलः | न्यायवैशेषिकमते कारणतावादविचारः | १९ - २२ | Read |
6 td > | ड. गोपीकृष्णन्-रघुः | जीवनं जलम् | २३ - २५ | Read |
7 td > | लक्ष्मीकान्तषडङ्गी | कोरोनासंक्रमणनिराकरणे संस्कृतवाङ्मये उपादानानि | २६ - ३० | Read |
8 td > | ड. जगमोहन-आचार्यः | प्राकृतिकचिकित्सापद्धतिः | ३१ - ३४ | Read |
9 td > | ड. गगनचन्द्रदे | वैदिकभाषायामुपसर्गाणां व्यवहारः | ३५ - ४० | Read |
10 td > | सुमन्तचौधुरी | व्याकरणशास्त्रे पदविचारः | ४१ - ४७ | Read |
11 td > | सुकान्त मान्ना | श्रीशिवरामेन्द्रसरस्वतीविरचितरत्न-प्रकाशदिशा कारके इति सूत्रार्थविचारः | ४८ - ५२ | Read |
12 td > | श्रीजीव-गोस्वामी | न्यायवर्त्मानुसारिव्याख्यानां करणविमृष्टौ प्रभावः | ५३ - ५७ | Read |
13 td > | दीपकगराइ | आचार्यरघुनाथदिशा पदार्थतत्त्वसमीक्षणम् | ५८ - ६३ | Read |
14 td > | सुरजित् मण्डलः | न्यायमते अनुमानप्रमाणम् | ६४ - ६६ | Read |
15 td > | जयदेवदिण्डा | चार्वाकनये अनुमानादेः प्रमाणत्वखण्डनम् | ६७ - ७३ | Read |
16 td > | सुचन्द्रा मुखर्जी | वेदे नारीनामधिकारविमर्शः | ७४ - ७६ | Read |
17 td > | निमाइ साँतरा | देवीसूक्ते सृष्टिप्रक्रिया | ७७ - ७९ | Read |
18 td > | सुप्रिया-सुइ | वर्णानां सृष्टिप्रक्रियाविचारः | ८० - ८२ | Read |
19 td > | गौराङ्ग-शो | दर्शनशास्त्रदृष्ट्या शिक्षकचरितसमीक्षा | ८३ - ८६ | Read |
20 td > | सत्येन्द्रनाथ-आदकः | कर्मण्येवाधिकारस्ते | ८७ - ९० | Read |
21 td > | कृष्णगोपालपात्रः | कालिदासवर्णितेषु कारुण्यवियोगादिषु मानवेतराणां तादात्म्यानुभूतिः | ९१ - ९४ | Read |
22 td > | सुस्मिता-दे | अभिज्ञानशकुन्तले कालिदासस्य प्रकृतिभावना | ९५ - ९९ | Read |
Table of contents (MANISHA)
Sl.No. | Authors | Title | Page No. | Read |
---|---|---|---|---|
1 td > | ड. गगनचन्द्रदे | अभिनवमङ्गलदशकम् | १ - २ | Read |
2 td > | ड. बिष्णुपदमहापात्रः | न्यायवैशेषिकतन्त्रे मनस्तत्त्वम् | ३ - ८ | Read |
3 td > | ड. बुद्धेश्वरषडङ्गी | काव्यमार्गे शब्दवृत्तयः | ९ - १२ | Read |
4 td > | डा. चन्द्रकला आर्. कोण्डी | पण्डितराजजगन्नाथकृतकाव्यविभागस्यौचित्यम् | १३ - १८ | Read |
5 td > | शिवप्रसादपोख्रेलः | न्यायवैशेषिकमते कारणतावादविचारः | १९ - २२ | Read |
6 td > | ड. गोपीकृष्णन्-रघुः | जीवनं जलम् | २३ - २५ | Read |
7 td > | लक्ष्मीकान्तषडङ्गी | कोरोनासंक्रमणनिराकरणे संस्कृतवाङ्मये उपादानानि | २६ - ३० | Read |
8 td > | ड. जगमोहन-आचार्यः | प्राकृतिकचिकित्सापद्धतिः | ३१ - ३४ | Read |
9 td > | ड. गगनचन्द्रदे | वैदिकभाषायामुपसर्गाणां व्यवहारः | ३५ - ४० | Read |
10 td > | सुमन्तचौधुरी | व्याकरणशास्त्रे पदविचारः | ४१ - ४७ | Read |
11 td > | सुकान्त मान्ना | श्रीशिवरामेन्द्रसरस्वतीविरचितरत्न-प्रकाशदिशा कारके इति सूत्रार्थविचारः | ४८ - ५२ | Read |
12 td > | श्रीजीव-गोस्वामी | न्यायवर्त्मानुसारिव्याख्यानां करणविमृष्टौ प्रभावः | ५३ - ५७ | Read |
13 td > | दीपकगराइ | आचार्यरघुनाथदिशा पदार्थतत्त्वसमीक्षणम् | ५८ - ६३ | Read |
14 td > | सुरजित् मण्डलः | न्यायमते अनुमानप्रमाणम् | ६४ - ६६ | Read |
15 td > | जयदेवदिण्डा | चार्वाकनये अनुमानादेः प्रमाणत्वखण्डनम् | ६७ - ७३ | Read |
16 td > | सुचन्द्रा मुखर्जी | वेदे नारीनामधिकारविमर्शः | ७४ - ७६ | Read |
17 td > | निमाइ साँतरा | देवीसूक्ते सृष्टिप्रक्रिया | ७७ - ७९ | Read |
18 td > | सुप्रिया-सुइ | वर्णानां सृष्टिप्रक्रियाविचारः | ८० - ८२ | Read |
19 td > | गौराङ्ग-शो | दर्शनशास्त्रदृष्ट्या शिक्षकचरितसमीक्षा | ८३ - ८६ | Read |
20 td > | सत्येन्द्रनाथ-आदकः | कर्मण्येवाधिकारस्ते | ८७ - ९० | Read |
21 td > | कृष्णगोपालपात्रः | कालिदासवर्णितेषु कारुण्यवियोगादिषु मानवेतराणां तादात्म्यानुभूतिः | ९१ - ९४ | Read |
22 td > | सुस्मिता-दे | अभिज्ञानशकुन्तले कालिदासस्य प्रकृतिभावना | ९५ - ९९ | Read |